" कविताओं को लिखने का हमें इतना शौक नहीं,
पर ऐसे ही दिल मानता नहीं।
दिल को समझा नहीं सकता,
और दिल की बातो को छुपा नहीं सकता। "
- सुरेश पुरी
कसला गर्व चढलाय माणसांना - पैसा अन् संपत्तीचा दोन क्षणाच्या गर्वापोटी माणुस - विसरत चाललाय रक्ताच्या नात्यांना. नेमका कसला गंज चढलाय - अहं...
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